मैं वी नचना ए बजरंग नाल
मैं वी नचना ए बजरंग नाल,नच्चे हनुमान रसिया।।

केसरी किशोर नच्चे, पवन दुलारा।
नच्चे शिव भोला, रघुनाथ प्राण प्यारा।।
नच्चे था थई अंजनी लाल- नच्चे हनुमान रसिया……

लाल लंगूर दे सिंदूर तन सोहे।
राम नाम अलफी कपीश मन मोहे।।
पैरी घुंगरू हयां च खड़ताल-नच्चे हनुमान रसिया……

नच्चे हनुमान नच्चे कपिदल सारा।
हर हर महादेव गूंजदा जयकारा।।
फड़ी हथां विच धजा लाल लाल-नच्चे हनुमान रसिया…..

कवि कोविद संगीत रसीला।
बड़ी प्यारी लगदी ‘‘मधुप’’ हरि लीला।।
प्यारे लगदे ने ढोलां दे ताल-नच्चे हनुमान रसिया..

Author: सुप्रसिद्ध लेखक एवं संकीर्तनाचार्य श्री केवल कृष्ण ❛मधुप❜ (मधुप हरि जी महाराज) अमृतसर

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