जो तने ब्याहण आया पार्वती
उसका रूप निराला से
माथे चंदा जटा में गंगा
गळ में नाग एक काला से
ओ माथे चंदा जटा में गंगा
गळ में नाग एक काळा से

ओ इसा के देख्या पार्वती
जो इसके प्रेम में बहगी तू
रंगमहलां के ठाठ छोड़
इब जंगल के मा रहगी तू
ओ रंगमहलां के ठाठ छोड़
इब जंगल के मा रहगी तू
तने गेर के केशर दूध पिया
यो भांग के पीवन आळा से
माथे चंदा जटा में गंगा
गळ में नाग एक काळा से
ओ माथे चंदा जटा में गंगा
गळ में नाग एक काळा से

तेरी सखी सहेली मारे बोली
अजब तेरी ये कहाणी से
मोडे का ना कोई ठिकाणा
महलां की तू राणी से
ओ मोडे का ना कोई ठिकाणा
महलां की तू राणी से
ओ भूता गेल्या इसकी यारी
गळ हाडां की माळा से
माथे चंदा जटा में गंगा
गळ में नाग एक काळा से
ओ माथे चंदा जटा में गंगा
गळ में नाग एक काळा से

ओ भोलेनाथ मने कर दे माफ
मेरी सखी सहेली जाणी ना
विष को पीके बचा के श्रष्टि
जूठी कोई कहाणी ना
ओ विष को पीके बचा के श्रष्टि
जूठी कोई कहाणी ना
ओ देवों के महादेव तेरा है
भगत यो झिंझरिया आळा से
माथे चंदा जटा में गंगा
गळ में नाग एक काळा से
ओ माथे चंदा जटा में गंगा
गळ में नाग एक काळा से
गळ में नाग एक काळा से

Author: Sunil Sharma Dhingadiya

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