तर्ज – बड़ी देर भई नंदलाला
ये माँ अंजनी का लाला,
है देव बड़ा बल वाला,
और ना कोई कर पाया जो,
वो इसने कर डाला…….
बालापन में सूरज को जब,
समझ के फल था मुख लिया,
बदल दिया था नियम श्रष्टि का,
दिन में भी था अँधेरा किया,
विनती करि मिल देवो ने,
तब मुह से उसे निकाला,
ये माँ अंजनी का लाला,
है देव बड़ा बल वाला……
माँ सीता की खोज में इसने,
उड़के समंदर पर किया,
सारी उजाड़ी अशोक वाटिका,
अक्षय कुमार को मार दिया,
जला दिया लंका नगरी को,
तहस नहस कर डाला,
ये माँ अंजनी का लाला,
है देव बड़ा बल वाला…….
मूर्छित हो गए लखन लाल जब,
अपना फर्ज निभाया था,
रात्रि में ही वैद्य सुषेण को,
लंका से ले आया था,
औषधि जो थी समझ ना आयी तो,
पर्वत ही ले आया,
ये माँ अंजनी का लाला,
है देव बड़ा बल वाला……
बड़े बड़े बलशाली बजरंग,
द्वार पे शीश झुकाते है,
सारे पापी और अधर्मी,
तुझसे ही घबराते है,
ऋषि मुनि और ज्ञानी पन्ना,
जपे है इनकी माला,
ये माँ अंजनी का लाला,
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