तेरी करुणा की घनी छाँव में,
जी लगता है,
सांवरे अब तो तेरे,
गाँव में जी लगता है,
अश्क रुकते नहीं,
आँखों में मेरी रोके से,
इनका तो बस,
तेरे पांवों में जी लगता है ||

हाथ कस के पकड़ ले,
मेरा सांवरे,
मैं छुड़ाना भी चाहूँ,
छुड़ाना सकूँ,
मेरी हार साँस पे,
श्याम लिख इस तरह,
मैं मिटाना भी चाहूँ,
मिटाना ना सकूँ,
हाथ कस के पकड ले,
मेरा सांवरे,
मैं छुड़ाना भी चाहूँ,
छुड़ाना सकूँ ||

मुझको लूटने का डर,
जग के मेले में है,
पाँच डाकू भी संतो के,
रेले में है,
ठगनी माया की,
मीठी सी बातो में मैं,
कभी आना भी चाहूँ तो,
आ ना सकूँ,
हाथ कस के पकड ले,
मेरा सांवरे,
मैं छुड़ाना भी चाहूँ,
छुड़ाना सकूँ ||

हाथ में तेरे जब तक,
मेरा हाथ है,
मुझको छुले कोई,
किसकी औकात है,
श्याम प्यारे तू,
सदा मेरे साथ है,
मैं भूलाना भी चाहूँ,
भुला ना सकूँ,
हाथ कस के पकड ले,
मेरा सांवरे,
मैं छुड़ाना भी चाहूँ,
छुड़ाना सकूँ ||

श्याम ‘संदीप’ को तू,
बना बांसुरी,
नाचू छम छम छमाछम,
सर किसी और दर पे,
कभी सांवरे,
मैं झुकना भी चाहूँ,
झुकाना सकूँ,
हाथ कस के पकड ले,
मेरा सांवरे,
मैं छुड़ाना भी चाहूँ,
छुड़ाना सकूँ ||

हाथ कस के पकड़ ले मेरा सांवरे,
मैं छुड़ाना भी चाहूँ,
छुड़ाना सकूँ,
मेरी हार साँस पे,
श्याम लिख इस तरह,
मैं मिटाना भी चाहूँ,
मिटाना ना सकूँ,
हाथ कस के पकड ले,
मेरा सांवरे,
मैं छुड़ाना भी चाहूँ,
छुड़ाना सकूँ ||

Author: Sandeep Bansal

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

गीता जयंती

बुधवार, 11 दिसम्बर 2024

गीता जयंती
मोक्षदा एकादशी

बुधवार, 11 दिसम्बर 2024

मोक्षदा एकादशी
दत्तात्रेय जयंती

शनिवार, 14 दिसम्बर 2024

दत्तात्रेय जयंती
अन्नपूर्णा जयन्ती

रविवार, 15 दिसम्बर 2024

अन्नपूर्णा जयन्ती
मार्गशीर्ष पूर्णिमा

रविवार, 15 दिसम्बर 2024

मार्गशीर्ष पूर्णिमा
संकष्टी चतुर्थी

बुधवार, 18 दिसम्बर 2024

संकष्टी चतुर्थी

संग्रह