लठ होरी – बरसाना (रसिया)
लठ बरसेगी बरसेगा रंग, रसिया होरी में।
तेरा बिगड़ जाएगा रूप रंग, रसिया होरी में ॥

आमने सामने होगी होरी, नहीं चलेगी चोरा चोरी
रंग रंगो का होगा जंग, रसिया होरी…

होरी का घमासान मचेगा, सूखा न कोई आज बचेगा
होगा होरी में हुड़दंग, रसिया होरी…

लगते लठकी चोट करारी, उतर जाएगी मस्ती सारी
तेरी उतर जायेगी भंग, रसिया होरी…

रसिया नार बनायेंगे तोहे, दे दे ताल नचायेंगे तोहे
तज लोक लाज की संग, रसिया होरी…

रंग रंगीली ‘मधुप’ यह होरी, याद रहेगी यह लठ होरी
याद रहेंगे होरी के रंग, रसिया होरी…

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