( निकल आयो पर्दे से, ओ मुरली वाले,
हमें तेरा पर्दा, गवारा नहीं है ।
तुम बैठे पर्दे में, हम बैठे सजदे में,
अरे, यह भी तो कोई, नज़ारा नहीं है ॥ )

मेरे बाँके बिहारी, पर्दा ज़रा हटा दे ।
हम निर्गुण, तुम स्वामी ।
पर्दा, ज़रा हटा दे,,,
मेरे बाँके बिहारी, मुखड़ा ज़रा दिखा दे ।
मेरे बाँके बिहारी, पर्दा ज़रा हटा दे…

दिल में है तेरी तस्वीर, विगड़ी बना दे तकदीर ।
नैनों में तूँ वसा ले, नैनों से बहते हैं नीर ॥
बन गई हूँ तेरी योगन ॥, चरनों में, अब जगह दे,,,
मेरे बाँके बिहारी, पर्दा ज़रा हटा दे…

तरसी है मेरी अख्खियाँ, आई है साथ सख्खियाँ ।
दर्शन तूँ मुझको दे दे, नैनन में वस जा मेरे ॥
ओ मुरली वाले कान्हा ॥, जलवा, ज़रा दिखा दे,,,
मेरे बाँके बिहारी, पर्दा ज़रा हटा दे…

आयो तो खेलूँ होली, प्यार की बोलूँ बोली ।
प्यार से बाँके मेरी, भरदे यह ख़ाली झोली ॥
ओ मुरली वाले कान्हा ॥, रोते को, तूँ हसा दे,,,
मेरे बाँके बिहारी, पर्दा ज़रा हटा दे…

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