मेरे घर आना नंदलाला तुम्हें माखन खिलाऊंगी,
तुम्हें माखन खिलाऊंगी, तुम्हें मिश्री खिलाऊंगी,
मेरे सोहना ओ मनमोहना तुम्हें अपना बनाऊंगी,
मेरे घर आना नंदलाला….

मुकुट मे मोर पंखों के यह रंग, नैनो को भाते हैं,
है सुख-दुख रंग जीवन के यह दुनिया को बताते हैं,
मुझे यह भेद बतलाना तुम्हें माखन खिलाऊंगी,
मेरे घर आना नंदलाला….

तेरी यह बांस की बंसी यह दुनिया को नचाती है,
पढ़े जब मेरे कानों में यह दुनिया भूल जाती है,
मेरे अंगना आजा कान्हा तुम्हें माखन खिलाऊंगी,
मेरे घर आना नंदलाला….

गले में बैजंती माला सभी का दिल लुभाती है,
बंधे सब एक डोरी से यह दुनिया को बताती है,
मुझे यह रोग सिखलाना तो मैं माखन खिलाऊंगी,
मेरे घर आना नंदलाला….

तुम्हारे पांव के घुंघरू जमाने को लुभाते हैं,
गीत संगीत ही जीवन यह दुनिया को बताते हैं,
मेरे घर नच के दिखलाना तुम्हें माखन खिलाऊंगी,
मेरे घर आना नंदलाला….

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

वरुथिनी एकादशी

गुरूवार, 24 अप्रैल 2025

वरुथिनी एकादशी
मोहिनी एकादशी

गुरूवार, 08 मई 2025

मोहिनी एकादशी
वैशाखी पूर्णिमा

सोमवार, 12 मई 2025

वैशाखी पूर्णिमा
अपरा एकादशी

शुक्रवार, 23 मई 2025

अपरा एकादशी
शनि जयंती

मंगलवार, 27 मई 2025

शनि जयंती
निर्जला एकादशी

शुक्रवार, 06 जून 2025

निर्जला एकादशी

संग्रह