मेरी लगी श्याम संग प्रीत

मेरी लगी श्याम संग प्रीत,
ये दुनिया क्या जाने,
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जाने,
क्या जाने कोई क्या जाने,
क्या जाने कोई क्या जाने,
मेरी लगी श्याम संग प्रित,
ये दुनिया क्या जाने।।

छवि लखि मैंने श्याम की जब से,
भई बावरी मैं तो तब से,
बाँधी प्रेम की डोर मोहन से,
नाता तोड़ा मैंने जग से,
ये कैसी निगोड़ी प्रीत,
ये दुनिया क्या जाने,
मेरी लगी श्याम संग प्रित,
ये दुनिया क्या जाने।।

मोहन की सुन्दर सूरतिया,
मन में बस गई मोहनी मूरतिया,
जब से ओढ़ी श्याम चुनरिया,
लोग कहे मैं भई बावरियां,
मैंने छोड़ी जग की रीत,
ये दुनिया क्या जाने,
मेरी लगी श्याम संग प्रित,
ये दुनिया क्या जाने।।

हर दम अब तो रहूँ मस्तानी,
रूप राशि अंग अंग समानी,
हेरत हेरत रहूँ दीवानी,
मैं तो गाऊँ ख़ुशी के गीत,
ये दुनिया क्या जाने,
मेरी लगी श्याम संग प्रित,
ये दुनिया क्या जाने।।

मोहन ने ऐसी बंसी बजाई,
गोप गोपियाँ दौड़ी आई,
सब ने अपनी सुध बिसरायी,
लोक लाज कुछ काम न आई,
फिर बाज उठा संगीत,
ये दुनिया क्या जाने,
मेरी लगी श्याम संग प्रित,
ये दुनिया क्या जाने।।

मेरी लगी श्याम संग प्रीत,
ये दुनिया क्या जाने,
मुझे मिल गया मन का मीत,
ये दुनिया क्या जाने,
क्या जाने कोई क्या जाने,
क्या जाने कोई क्या जाने,
मेरी लगी श्याम संग प्रित,
ये दुनिया क्या जाने।।

Author: Unknown Claim credit

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