मोहे लागी लगन मनमोहन से -2 ,
छोड़ घरबार ब्रजधाम में आय बैठी ,
मोरे नैनों से -2,निंदिया चुराई जिसने ,
मैं तो नैनां उसी से लगाए बैठी।
मोहे लागी लगन….
कारो कन्हैया सो काजल लगाईके ,
गालों पे गोविन्द गोविन्द लिखाइके।-2
गोकुल की गलियों में गोपाल ढूंढूं ,
मैं भाँवरी अपनी सुधबुध गँवाईके ,
मिल जाए रास बिहारी,मैं जाऊं वारी-2 ,
कहदूँ नटखट से बात हिया की सारी ,
बात समझेगो-2 मेरी बिहारी कभी ,
ये शरत मैं खुदी से लगाई बैठी।
ऐसी लागी लगन मनमोहन से -2 ,
छोड़ घरबार ब्रजधाम आय बैठी।
जो हो सो हो अब ना जाऊं पलट के,
बैठी हूँ कान्हा की राहों में डट के। -2
जबतक ना मुखड़ा दिखाए सलोना ,
काटूंगी चक्कर यूहीं वंशीवट के ,
उस मोरमुकुट वाले से ,गोविंदा से ग्वाले से ,
मन बाँध के रखना है उस मतवाले से ,
जाने आ जाए-2 कब चाँद वो सामने ,
भोर से ही मैं खुद को सजाए बैठी।
मोहे लागी लगन मनमोहन से ,
छोड़ घरबार ब्रजधाम आय बैठी।
मोरे नैनों से -2,निंदिया चुराई जिसने ,
मैं तो नयना उसी से लगाए बैठी।
मोहे लागी लगन….।
हरे कृष्णा ,हरे कृष्णा ,कृष्णा कृष्णा हरे हरे।
हरे रामा ,हरे रामा ,रामा रामा हरे हरे।।
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