हर इक सुपना साकार हो गया,
लड़ लग माँ दे बेड़ा पार हो गया।

साडे उत्ते दातिए तू कर्म कमाया ए,
हर सुख दुनिया दा झोली विच पाया ए,
ऐसा माये तेरा उपकार हो गया,
लड़ लग माँ दे बेड़ा पार हो गया…..

मेहरा वाली मईया सानू सब कुझ दित्ता ए,
नाम तेरा दातिए नि मिश्री तो मीठा ए,
चरणा नाल तेरे सानू प्यार हो गया,
लड़ लग माँ दे बेड़ा पार हो गया…….

‘बक्शी पवन’ नू तू किता मालामाल माँ,
‘प्रेम’ तेरा प्यार पाके हो गया निहाल माँ,
‘भानु’ भी तेरा सेवादार हो गया,
लड़ लग माँ दे बेड़ा पार हो गया…….

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