( एह नदी जीवन दी ऐसी गहरी,
तरी माँ बिना ना जावे,
हरदम ध्यान करा जगदम्बा,
सब दा बेड़ा पार लंगावे। )

माँ चरणा दे नाल प्यार हो गया,
सच्ची मुचि ओहदा बेड़ा पार हो गया।

इक मन चित होके दर ते जो आउंदे ने,
बिना कुझ बोले ही मुरादा झट पाउंदे ने,
सुपने च जेहनु माँ दीदार हो गया,
सच्ची मुचि ओहदा बेड़ा पार हो गया,
माँ चरणा दे नाल……

माँ दे दर वगदिया शीतल हवावा ने,
भटके सवालिया नू मिलदिया राहवा ने,
जेहनु माँ दे नाम दा खुमार हो गया,
सच्ची मुचि ओहदा बेड़ा पार हो गया,
माँ चरणा दे नाल……

चिंता हरण जग जननी बुलाउंदे ने,
देवते नि माये गुणगान तेरा गाउँदे ने,
‘हैरी’ ते भी तेरा उपकार हो गया,
सच्ची मुचि ओहदा बेड़ा पार हो गया,
माँ चरणा दे नाल……

Author: Unknown Claim credit

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