ये अवसर फिर नही मिलने का
ये अवसर फिर नही मिलने का सत्संग करो माँ के दर्शन करो,
ये जन्म नही फिर मिलने का सत्संग करो माँ के दर्शन करो,
ये अवसर फिर नही मिलने का……
चाहे सारी दुनिया ठुकराये चाहे धन सम्पति सब लुट जाये,
चाहे थाली लौटा बिक जाये चाहे थाली लौटा बिक जाये,
सत्संग करो माँ के दर्शन करो ये अवसर फिर नही मिलने का……
चाहे तन मे अधिक बिमारी हो प्रतिकुल चले नर नारी हो,
माने ना बात हमारी हो माने ना बात हमारी हो,
सत्संग करो माँ के दर्शन करो ये अवसर फिर नही मिलने का……
अपमान अचानक हो जाये निज साथी कोई बिछङ जाये,
चाहे नित्य नई आफत आये चाहे नित्य नई आफत आये,
सत्संग करो माँ के दर्शन करो ये अवसर फिर नही मिलने का……
हे सुख सम्पति के अभिमानी कर लो अचमन बहते पानी,
यहाँ चार दिनो की मेहमानी यहाँ चार दिनो की मेहमानी,
सत्संग करो माँ के दर्शन करो ये अवसर फिर नही मिलने का…….
व्यवहार सीखना है जिसको व्यापार सीखना है जिसको,
भव पार उतरना है जिसको भव पार उतरना है जिसको,
सत्संग करो माँ के दर्शन करो ये अवसर फिर नही मिलने का……
Author: Unknown Claim credit