
दीपों का त्योंहार हम मनाने आए हैं
सिद्धि विनायक गणपति को,रिझाने आये हैं,दीपों का त्योंहार,हम मनाने आए हैं।। जब से तुम कलकत्ता पधारे,हो गए सबके वारे न्यारे,प्रथम तुम्हारी होती पूजा,तुमसे बढ़कर देव ना दूजा,तेरे चरणों में…तेरे चरणों में, शीश झुकाने आए हैं,दीपों...