आ ही गए रघुनंदन, सजवादो द्वार-द्वार,
स्वर्ण कलश रखवादो, बंधवादों बंधन वार…

सजी नगरिया है सारी, नाचें गावे नर-नारी,
खुशियाँ मनाओ, गाओ री मंगल चार,
स्वर्ण कलश रखवादो, बंधवादों बंधन वार…

लड़ियों से मढ़ियों से फुलझड़ियों से ,
सजा राम दरबार, शोभा अजब बनी…

कंचन कलश विचित्र सँवारे, सब ही सजे धरे निज निज द्वारे,
खुशियाँ मनाओ, गाओ री मंगल चार,
स्वर्ण कलश रखवादो, बंधवादों बंधन वार…

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

वरुथिनी एकादशी

गुरूवार, 24 अप्रैल 2025

वरुथिनी एकादशी
मोहिनी एकादशी

गुरूवार, 08 मई 2025

मोहिनी एकादशी
वैशाखी पूर्णिमा

सोमवार, 12 मई 2025

वैशाखी पूर्णिमा
अपरा एकादशी

शुक्रवार, 23 मई 2025

अपरा एकादशी
शनि जयंती

मंगलवार, 27 मई 2025

शनि जयंती
निर्जला एकादशी

शुक्रवार, 06 जून 2025

निर्जला एकादशी

संग्रह