भर लाई गगरिया राम रस की ।
राम रस की रे हरि के रस की ।।

ब्रह्मा ने पी ली विष्णु ने पी ली,
भोले बाबा ने पी ली लगाय चुस्की ।
भर लाई गगरिया राम रस की,
राम रस की रे हरि के रस की ।।

राम जी ने पी ली लक्ष्मण ने पी ली,
भक्त हनुमत ने पी ली लगाय चुस्की ।
भर लाई गगरिया राम रस की,
राम रस की रे हरि के रस की ।।

साधुओं ने पी ली संतों ने पी ली,
मुनि नारद ने पी ली लगाय चुस्की ।
भर लाई गगरिया राम रस की,
राम रस की रे हरि के रस की ।।

गोपियों ने पी ली सखियों ने पी ली,
सभी भक्तों ने पी ली लगाय चुस्की ।
भर लाई गगरिया राम रस की,
राम रस की रे हरि के रस की ।।

Author: काजल मलिक जी

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