मन की शांति का द्वार
राम का दरबार, मन की शांति का द्वार,
ॐ शन्ति, मन की शान्ति ।
तन की शान्ति, क्रोध शान्ति,
जब सब शांति, तव राम करे उद्धार ।।
जब मन शून्य में चला जाता हैं,
तव आत्मा और मन, परम् सुख पाता है ।
आत्मा परमात्मा है, राम की अवतार,
राम का दरबार, मन की शांति का द्वार ।।
जब राममय हो तन मन धन,
मोह माया छोड़कर, सब कुछ हो अर्पण ।
तव जाकर प्रभु राम, करते भक्ति स्वीकार,
राम का दरबार, मन की शांति का द्वार ।।
Author: जयकिशन रावत जी