प्राण से बढ़कर प्रजा को अपने पलकों पर जो रखता था,
पिता की आज्ञा की खातिर जो वन में दर दर भटका था,
मर्यादा पुरषोत्तम राम अपना रखवाला है,
मर्यादा पुरषोत्तम राम अपना रखवाला है,
राज्य अयोध्या सा,
राजा प्रभु राम हमारा है…..
सूर्य तिलक माथे पे चमके,
हाथ मे तीर कमान लीए,
विकट विपत्ति में भी हरदम,
अधरों पर मुस्कान लिए….
जय सिया राम जय जय सिया राम,
जय सिया राम जय जय सिया राम,
जय सिया राम जय जय सिया राम,
जय सिया राम जय जय सिया राम…..
एक तरफ़ सीता मैया तो,
एक तरफ़ हैं लखन खड़े,
भक्ति में हो मगन तेरे,
हैं चरणों में हनुमान पड़े….
हर कोना कोना जिससे जग का उजियारा है,
हर कोना कोना जिससे जग का उजियारा है,
राज्य अयोध्या सा,
राजा प्रभु राम हमारा है…..
सबरी हो या रावण हो,
तुमने सबका उद्धार किया,
केवट हो चाहे हो विभीषण,
तुमने सबको प्यार दिया…..
जय सिया राम जय जय सिया राम,
जय सिया राम जय जय सिया राम,
जय सिया राम जय जय सिया राम,
जय सिया राम जय जय सिया राम…..
शत्रू के संग भी जीस ने था मित्रो सां व्यवहार किया,
प्रेम की खातिर सागर पर था,
रामसेतु भी बांध दिया,
दशरथ नंदन हमको तू प्राणों से भी प्यारा है,
दशरथ नंदन हमको तू प्राणों से भी प्यारा है,
राज्य अयोध्या सा,
राजा प्रभु राम हमारा है,
राज्य अयोध्या सा,
राजा प्रभु राम हमारा है…..
जय सिया राम जय जय सिया राम,
जय सिया राम जय जय सिया राम,
जय सिया राम जय जय सिया राम,
जय सिया राम जय जय सिया राम…..
Author: Unknown Claim credit