प्रेम भक्ति से मिलकर पुकारो,
भोले बाबा हमारे मिलेंगे।
तन में भस्मी भभुति रमाये,
नाग गर्दन में धारे मिलेंगे।

वो हैं दाता जगत है भिखारी,
सब हैं उनके चरण के पुजारी,
उनकी चौखट पे ये दुनिया वाले,
अपनी झोली पसारे मिलेंगे।

उनको चाहिए न मिष्ठान मेवा,
ना वो चाहे किसी की भी सेवा,
उनको चाहे अगर कोई पाना,
भक्ति रस के सहारे मिलेंगे।

जिसने सच्चे है दिल से पुकारा,
उनको देते हैं भोले सहारा,
अपने भक्तों की नैय्या भंवर से,
‘लक्खा’ करते किनारे मिलेंगे।

राम के भेष में वो ही आए,
कृष्ण बनकर के लीला रचाये,
उनकी माया को ‘शर्मा’ क्या जाने,
वो कई रूप धारे मिलेंगे।

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

विजया एकादशी

सोमवार, 24 फरवरी 2025

विजया एकादशी
महा शिवरात्रि

बुधवार, 26 फरवरी 2025

महा शिवरात्रि
आमलकी एकादशी

सोमवार, 10 मार्च 2025

आमलकी एकादशी
होलिका दहन

गुरूवार, 13 मार्च 2025

होलिका दहन
होली

शुक्रवार, 14 मार्च 2025

होली
फाल्गुन पूर्णिमा

शुक्रवार, 14 मार्च 2025

फाल्गुन पूर्णिमा

संग्रह