कितनी सुन्दर है माँ तेरी नगरी

कितनी सुन्दर है माँ तेरी नगरी

भोले पैदल चले आ रहे है…

उनकी जटा में गंगा विराजे,
वो बहाते चले आ रहे है,
उनके माथे पे चंदा विराजे,
वो चमकाते चले आ रहे है,
कितनी सुन्दर है माँ तेरी नगरी,
भोले पैदल चले आ रहे है…

उनके कानो में बिच्छु विराजे,
वो लटकाते चले आ रहे है,
उनके गले में नाग विराजे,
वो लहराते चले आ रहे है,
कितनी सुन्दर है माँ तेरी नगरी,
भोले पैदल चले आ रहे है…

उनके हाथो में डमरू विराजे ,
वो बजाते चले आ रहे है,
उनके अंगो में बाघम्बर छाला,
वो पहन कर चले आ रहे है,
कितनी सुन्दर है, माँ तेरी नगरी,
भोले पैदल चले आ रहे है…

उनके पैरो में घुघरू विराजे,
वो बजाते चले आ रहे है,
उनके संग में गौर मैया सोहे,
जोड़ी बना कर चले आ रहे है,
कितनी सुन्दर है, माँ तेरी नगरी,
भोले पैदल चले आ रहे है…

उनके चरणों में नंदी विराजे,
वो घुमाते चले आ रहे है,
कितनी सुन्दर, है माँ तेरी नगरी,
भोले पैदल चले आ रहे है…

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

ज्येष्ठ पूर्णिमा

बुधवार, 11 जून 2025

ज्येष्ठ पूर्णिमा
योगिनी एकादशी

शनिवार, 21 जून 2025

योगिनी एकादशी
देवशयनी एकादशी

रविवार, 06 जुलाई 2025

देवशयनी एकादशी
गुरु पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

गुरु पूर्णिमा
आषाढ़ पूर्णिमा

गुरूवार, 10 जुलाई 2025

आषाढ़ पूर्णिमा
कामिका एकादशी

सोमवार, 21 जुलाई 2025

कामिका एकादशी

संग्रह