ओ विष पीने वाले छुपा तू किधर है

मेरी जिंदगी में, ग़मों का ज़हर है,
विष पीने वाले, छुपा तू किधर है,
ओ विष पीने वाले, छुपा तू किधर है…….

ना तुमसा दयालु, कोई और भोले,
ना तुमसा दयालु, कोई और भोले,
जो ठुकरा के अमृत को पिए विष के प्याले,
लिया तीनों लोकों का, भार अपने सर है,
विष पीने वाले, छुपा तू किधर है,
ओ विष पीने वाले, छुपा तू किधर है……..

गरीबों का साथी ना बनता है कोई,
फ़साने भी उनके ना सुनता है कोई,
यहाँ फेर ली अपनों ने भी नजर है,
विष पीने वाले, छुपा तू किधर है,
ओ विष पीने वाले, छुपा तू किधर है……..

बड़ी आस लेकर केतुमको पुकारा,
करदो दया मुझपे, हूँ ग़म का मारा,
कहे सोनू होता ना मुझसे सबर है,
विष पीने वाले, छुपा तू किधर है,
ओ विष पीने वाले, छुपा तू किधर है,
मेरी जिंदगी में, ग़मों का ज़हर है,
विष पीने वाले, छुपा तू किधर है,
ओ विष पीने वाले, छुपा तू किधर है……..

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

छठ पूजा

मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025

छठ पूजा
कार्तिक पूर्णिमा

बुधवार, 05 नवम्बर 2025

कार्तिक पूर्णिमा
उत्पन्ना एकादशी

शनिवार, 15 नवम्बर 2025

उत्पन्ना एकादशी
मोक्षदा एकादशी

सोमवार, 01 दिसम्बर 2025

मोक्षदा एकादशी
मार्गशीर्ष पूर्णिमा

गुरूवार, 04 दिसम्बर 2025

मार्गशीर्ष पूर्णिमा
सफला एकादशी

सोमवार, 15 दिसम्बर 2025

सफला एकादशी

संग्रह