हरी का भजन कर प्यारी उमरिया बीती जाती है….
कौन शुभ कर्म कराया मानुष तन पृथ्वी पर पाया,
फिरे माया के चक्कर में मौत नहीं याद आई है,
हरी का भजन कर प्यारी उमरिया बीती जाती है….
यह बचपन खेल में खोया जवानी नींद भर सोया,
बुढ़ापा देख कर रोया याद मन को सताती है,
हरी का भजन कर प्यारी उमरिया बीती जाती है….
कुटुंब परिवार जग सारा स्वपन सब देख जग सारा,
माया का ज्ञान विस्तारा नहीं यह संग जाती है,
हरी का भजन कर प्यारी उमरिया बीती जाती है….
हरि के चरण चित्र लागे जो भव से पार हो जावे,
वह ब्रह्मानंद मोक्ष पावे वेद बॉडी सुनाती है,
हरी का भजन कर प्यारी उमरिया बीती जाती है….
Author: Unknown Claim credit