वेद माता गायत्री देवी को गायत्री मंत्र की देवी माना गया है। गायत्री मंत्र हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों के लिए सबसे पवित्र मंत्र माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार यह वेदों का श्रेष्ठ मंत्र है। माना जाता है कि चारों वेदों का सार इस मंत्र में समाहित है।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यः धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥
ऊँ का अर्थ है ईश्वर, भू: का अर्थ प्राणस्वरूप, भुव: दुखों का नाश करने वाला अर्थात दुखनाशक, स्व: सुख का स्वरुप अर्थात सुख स्वरूप, तत् का तात्पर्य है उस, सवितु: का अभिप्राय है तेजस्वी, वरेण्यं कहते हैं श्रेष्ठ को, भर्ग: का अर्थ लिया जाता है पापनाशक, देवस्य देवताओं का अर्थात दिव्य, धीमहि धारण करने को कहते हैं, धियो का मतलब है बुद्धि, यो का अर्थ जो, न: का तात्पर्य है हमारी, प्रचोदयात् को कहते हैं प्रेरित करें। अर्थात मंत्र का अभिप्राय हुआ उस प्राणस्वरुप, दु:ख नाशक, सुख स्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देव स्वरूप परमात्मा को हम अन्तरात्मा में धारण करें। वह ईश्वर हमारी बुद्धि को सन्मार्ग पर प्रेरित करे।