ओ,, अंबे मां मेरी क्यूं मुझको भूल जाती हो,
पड़ा हूं दर पे तेरे मां,
तुं इतना क्यूं सताती हो……

सुना है दिल तेरा अंबे दया का एक सागर है,
जो ठुकराए हुए जग के हुए जग के,
उन्हें तुम देती अदर है,
मेरी भी आज सुन लो मां,
क्यों मुझको तुम भुलाती हो,
ओ,, अंबे मां मेरी….

तेरे दर से भी अंबे मां, जो खाली लौट जाऊंगा,
नहीं दुनिया में कोई मां, जिसे फरियाद सुनाऊंगा,
तेरा ही नाम लेता हूं, तुम ही मां याद आती हो,
ओ,, अंबे मां मेरी……

तेरा ही नाम लेकर मां, तेरे चरणों में आया हूं,
बिसारों ना हमें दिल से, आशा से आया हूं,
तेरे ईश्वर को मां अंबे, इतना क्यों रुलाती हो,
ओ,, अंबे मां मेरी……

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