किस रोज पधारो गे गणपति मेरे आंगन में,
बेह जाए न कुटिया मेरी आंसुयो के सावन में
किस रोज पधारो गे गणपति मेरे आंगन में,

तुम्हे कसम है भोले की तुम्हे कसम है गोरा की
तुम्हे भरनी ही होगी खुशिया मेरे दामन में
किस रोज पधारो गे गणपति मेरे आंगन में,

है सूना यही हमने तुम पालनहारे हो
क्यो गमो के साए है देवा मेरे जीवन में
किस रोज पधारो गे गणपति मेरे आंगन में,

लिखते हो तुम्ही देवा किस्मत की लकीरों को
तकदीर बंधी बोलो मेरी किस बंधन में
किस रोज पधारो गे गणपति मेरे आंगन में,

मैं पलके जब खोलू दीदार तुम्हारा हो
जीवन भर तुम रेहना मेरे मन के दर्पण में
किस रोज पधारो गे गणपति मेरे आंगन में,

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

कालभैरव जयंती

शुक्रवार, 22 नवम्बर 2024

कालभैरव जयंती
उत्पन्ना एकादशी

मंगलवार, 26 नवम्बर 2024

उत्पन्ना एकादशी
मासिक शिवरात्रि

शुक्रवार, 29 नवम्बर 2024

मासिक शिवरात्रि
गीता जयंती

बुधवार, 11 दिसम्बर 2024

गीता जयंती
मोक्षदा एकादशी

बुधवार, 11 दिसम्बर 2024

मोक्षदा एकादशी
दत्तात्रेय जयंती

शनिवार, 14 दिसम्बर 2024

दत्तात्रेय जयंती

संग्रह