तर्ज – बचपन की मोहब्बत को

दिलदार कन्हैया ने,
मुझको अपनाया है,
रस्ते से उठा करके,
सीने से लगाया है…..

ना कर्म ही अच्छे थे,
ना भाग्य प्रबल मेरा,
ना सेवा करि तेरी,
ना नाम कभी तेरा,
ये तेरा बड़प्पन है,
मुझे प्रेम सिखाया है,
रस्ते से उठा करके,
सीने से लगाया है……

जो कुछ हूँ आज प्रभु,
सब तेरी मेहरबानी,
शत शत है नमन तुझको,
महाभारत के दानी,
तूने ही दया करके,
जीवन महकाया है,
रस्ते से उठा करके,
सीने से लगाया है……

प्रभु रखना संभाल मेरी,
ये मन ना भटक जाए,
बस इतना ध्यान रहे,
कोई दाग ना लग जाए,
बदरंग ना हो जाए,
जो रंग चढ़ाया है,
रस्ते से उठा करके,
सीने से लगाया है……

अहसास है ये मुझको,
चरणों में सुरक्षित हूँ,
अहसान बहुत तेरे,
भूले ना कभी ‘बिन्नू’,
श्री श्याम सुधामृत का,
स्वाद चखाया है,
रस्ते से उठा करके,
सीने से लगाया है…..

दिलदार कन्हैया ने,
मुझको अपनाया है,
रस्ते से उठा करके,
सीने से लगाया है…..

Author: Unknown Claim credit

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