जा रे कबूतर खाटू में, मेरे श्याम ने कर दे बेरा,
हरियाणे का जाट खेत में, नाम रटे से तेरा,
वो बोले श्याम श्याम श्याम
जपे वो श्याम श्याम श्याम।।
पांच अमावस ग्यारह ग्यारस, खाटू शीश झुकाया,
क्या गलती हो गयी मेरे से, मुझको ना अजमाया,
लगा के धुना बैठ गया, अब तन्ने उलहाने दे रया,
हरियाणे का जाट खेत में, नाम रटे से तेरा,
वो बोले श्याम श्याम श्याम
जपे वो श्याम श्याम श्याम।।
खाना पीना छोड़ दिया आज, पागल कहे जमाना,
हारे का कैसा साथी है, मन्ने है अजमाना,
चाहे गिरा दे चाहे उठा दे, हो लिया दुःखी भतेरा,
हरियाणे का जाट खेत में, नाम रटे से तेरा,
वो बोले श्याम श्याम श्याम
जपे वो श्याम श्याम श्याम।।
इस ‘बलराम’ का श्याम सवणकर, नहीं किसी से नाता,
आठों पहर पूरी श्रद्धा से,तेरा ही गुण गाता,
‘रामकुमार’ भी रोज रात को, गाकर कर करे सवेरा,
हरियाणे का जाट खेत में, नाम रटे से तेरा,
वो बोले श्याम श्याम श्याम
जपे वो श्याम श्याम श्याम।।
जा रे कबूतर खाटू में, मेरे श्याम ने कर दे बेरा,
हरियाणे का जाट खेत में, नाम रटे से तेरा,
वो बोले श्याम श्याम श्याम
जपे वो श्याम श्याम श्याम।।
Author: Ram Kumar Lakha