आ वे काहना आ मैं तां थक गई औसियाँ पा।
मैनुं तेरे मिलन दा चा मैं तां थक गई औसियाँ पा॥
अखाँ विचों रातां लंघदियाँ हो जावे नित सवेरा।
भुल भलेखे सिर देया साइयाँ पा कमली बल फेरा॥
चमक किथे पुनयां देया चन्दा कर दे दूर हनेरा।
आपाँ वार सीटां चरणा तो मैं तेरी तू मेरा॥
बंसी बजावे-करदे पूरा चा।
आ, मैं तां थक गई औसियाँ पा॥
विच उडीकां मुकदी जांदी कालयों धौले आये।
दीवे तयार बुझन नूं दोवें बैठी तेल मुकाये॥
हौके भरदी आसां करदी हुण आये हुण आये।
हुणे छणकया नूपुर पी दा ठण्डी वग नी वाहेये॥
रीझां ला ला बोल पपीहा-आ पी-आ पी-आ।
आ वे काहना आ मैं तां थक गई औसियाँ पा॥
नहीं पापण दे मथे लगणा सुपने विच ही आजा।
केढ़ी गलीं चुप चा साधी ओ गोकुल दे राजा॥
औगुण भुल सरकार साँवरी प्यार दा पाठ पढ़ा जा।
हसण दा मैनुं चा नहीं कोई रोणा ही सीखा जा॥
जेहड़ी गले तू खुश प्यारे-आन सुझा।
आ वे काहना आ मैं तां थक गई औसियाँ पा॥

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