तर्ज- कन्हैया ले चल परली पार

कन्हैया लाज बचा जाओ-2
खीच रहा मेरा चिर दुशासन
आके बचा जाओ।। कन्हैया…..

1 द्रोपति तुझको पुकार रही है
रो रो नीर बहाय रही है
दुखड़ा अपना सुनाए रही है

धीर नही अब मोहन मुझ में
जरा धीर बंधा जाओ।। कन्हैया…..

2 अपनो की मुझे आस नही है
कोई दूसरी राह नही है
खुद पर भी विश्वास नहीं है

निर्बल हो गए हाथ ये मेरे
जरा बल ही बड़ा जाओ।। कन्हैया…..

3 लाज गई तो कुछ ना बचेगा
मर मर कर फिर जीना पड़ेगा

बहन पुकारे ओ मेरे भैया
जरा कर्ज चुका जाओ।। कन्हैया….

4 बहन की सुनकर दौड़ा आया
चिर बड़ा कर लाज बचाया
हर एक को ये नजर ना आया

“गौतम” कहता तेरी महिमा
तुम ही सुना जाओ।। कन्हैया…..

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