चिंतापूर्णी दे द्वार भगत ने जांदे,
ज्योत जगा के सीस झुका के, मुँह मंगया फ़ल पाउंदे,
चिंतापूर्णी दे द्वार भगत ने जांदे…….

सावन महीने पर्वत उत्ते छाईयाँ घोर घटावा,
हरी भरी हरियाली आवे ठँडीया चलन हवावां,
डाल डाल ते रंग वखेरे, सोहने फूल मुस्काउँदे,
चिंतापूर्णी दे द्वार भगत ने जांदे…….

अम्बा दी डाली दे उत्ते कोयल भेंटा गावे,
कंजका दे नाल जद जगदंबा, झूला झूलन आवे,
देवी देवते भी अंबरा तो दर्शन करन नू आउंदे,
चिंतापूर्णी दे द्वार भगत ने जांदे…….

अस्सी चार चौरासी घंटे विच मंदिरा दे वजदे,
ढोलक छैना मृदंग वजदे किने प्यारे लगदे,
देवी देवते भी अंबरा तो दर्शन करन नू आउंदे,
चिंतापूर्णी दे द्वार भगत ने जांदे…….

नचदे गाउँदे चढ़न चढ़ाईयां, माँ दे भगत प्यारे,
विच ख़ुशी दे रलमिल सारे, लाउंदे जान जयकारे,
आशु सोनू हरदम दाती, तेरे ही गुण गाउँदे,
देवी देवते भी अंबरा तो दर्शन करन नू आउंदे,
चिंतापूर्णी दे द्वार भगत ने जांदे…….

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