पौणा जे तूँ भगता दीदार माई दा,
करके मन चो दूर वे हंकार दर आई दा,
पौणा जे तूँ भगता……

राजा अकबर सोने दा जो छतर चढ़ाऊँन सी आया,
माँ ने पल विच धातु करके सब हंकार मिटाया,
धन दौलत दा मान करे जो ओ नी माँ नू चाहिदा,
पौणा जे तूँ भगता……

धन्ने भगत जेही जे दिल दे विच रखेगा तू श्रद्धा,
पत्थर चो भी रब मिल जाना आपे जाऊ तरदा,
गहरे बुला के ठाकुर जी नू किदा भोग लगाईदा,
ओहदे वांगु हथ बन के, ठाकुर नू भोग लगाईदा,
पौणा जे तूँ भगता……

भगत ध्यानु जी ने माँ नच नच आन मनाया,
परख होई ता माँ नू अपना कट के सीस चढ़ाया,
दुनिया नू समझाया रूसी माँ नू किवे मनाईदा,
पौणा जे तूँ भगता……

सच्चे मन नाल जो भी अज्ज तक माँ दे दर है आया,
किशन निमानया की जाने ओहने ही सब कुझ पाया,
जेहो जईया नीता ओहो जेहा ही फल पाईंदा,
पौणा जे तूँ भगता……

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

बसंत पंचमी

रविवार, 02 फरवरी 2025

बसंत पंचमी
जया एकादशी

शनिवार, 08 फरवरी 2025

जया एकादशी
माघ पूर्णिमा

बुधवार, 12 फरवरी 2025

माघ पूर्णिमा
विजया एकादशी

सोमवार, 24 फरवरी 2025

विजया एकादशी
महा शिवरात्रि

बुधवार, 26 फरवरी 2025

महा शिवरात्रि
आमलकी एकादशी

सोमवार, 10 मार्च 2025

आमलकी एकादशी

संग्रह