आप मेरी आँख के हो तारे
हो राम प्राण से भी प्यारे
राजा दशरथ घर जन्म धरायो
आये हो अवध दुलारे
हो राम प्राण से भी प्यारे
सरयू के तट पर केवट के पास में
नाविक से नाव ले उतारे
हो राम प्राण से भी प्यारे
आप मेरी आँख के हो तारे
हो राम प्राण से भी प्यारे
सुवर्ण मुख पे मोहित सीते
माया विमुख आप मारे
हो राम प्राण से भी प्यारे
लंका नगर में रावण को मारा
अग्नि से दैत्य को संहारे
हो राम प्राण से भी प्यारे
आप मेरी आँख के हो तारे
हो राम प्राण से भी प्यारे
भक्त रखवाल प्रभु दिन दयाल हो
संतो के पालन हारे
हो राम प्राण से भी प्यारे
आप मेरी आँख के हो तारे
हो राम प्राण से भी प्यारे
Author: Unknown Claim credit