दशरथ तीन बचन गए हार वन की करो राम तैयारी…
कौशल्या मां तुम्हारी वह लगती सास हमारी,
उनके चरण छुवत भई देर, वन की करो राम तैयारी…
वह दशरथ पिता तुम्हारे वह लगते सुसर हमारे,
उनके चरण छुवत भई देर, वन की करो राम तैयारी…
वह भगनी बहन तुम्हारी वह लगती ननंद हमारी,
उसको विदा करत भई देर, वन की करो राम तैयारी…
और लक्ष्मण भाई तुम्हारे वह लगते देवर हमारे,
उनसे होली खेलत भई देर, वन की करो राम तैयारी…
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