साडे घर आओ गुरु जी साडे घर आओ
आओ जी गुरु जी साड़ी कुटियाँ च आओ
जेह्डा रुखा सुखा बनेया ओहदा भोग लगाओ जी
आओ जी गुरु जी साड़ी कुटियाँ च आओ

कुटियाँ च आओ गे ते पलका विछावा गी,
अपने हंजू नाल चरण धोआवा गी
अपनी वाशना नाल साडा घर महकाओ जी
आओ जी गुरु जी साड़ी कुटियाँ च आओ

जदों तुसी आओ गे ते संगत भी आये गी,
कितियाँ पाक अपने कर्म घटाए गी
अपनी किरपा दी छाया विच सहनु भी बिठाओ जी
आओ जी गुरु जी साड़ी कुटियाँ च आओ

वेख वेख तहानु मैं ते बल बल जावा गी ,
तन मन तुहाडे उते अपना मैं वारा गी
अपनी रेहमता दा मीह सारी संगत ते बरसाओ जी
आओ जी गुरु जी साड़ी कुटियाँ च आओ

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