चिन्तन करो, न चिन्ता करो, शिव शिव कहते रहो।
बस जिंदगी का है यह सार यही, अब भी समय जान लो।।
कण कण में है हर मन में है, सत्यं शिवं सुन्दरम्।
बाहर कहाँ तू ढूंढे उसे, ढूंढं ले मन मन्दिरम्।।
वो तो सदा है साथ तेरे, अब भी समय जान लो।
चिन्तन करो, न ……
वेदों पुराणों में ग्रन्थों में वो, आद अविनाशी है वो।
सीधा सादा भोला भाला है वो, मिलता है भगती से वो।।
इसकी शरण में सब सुख मिलें, अब भी समय जान लो।
चिन्तन करो, न ……
जीवन यह बार बार मिलता नहीं, हर पल की कीमत बड़ी।
स्वांस लड़ी में पिरोले इसे, टूटे ‘‘मधुप’’ न लड़ी।।
करूणामयी यह दयालु बड़ा, अब भी समय जान लो।
चिन्तन करो, न ……
Author: संकीर्तनाचार्य श्री केवल कृष्ण ❛मधुप❜ (मधुप हरि जी महाराज)