बाबा के इश्क़ में छोड़ के घर,
ये कहता चला में डगर डगर
मूजे पोहचा दो उज्जैन नगर,
जहां रहते है महाकालेश्वर,
मूजे जाना है बाबा के दर पर,
बाबा के दर को चूमूँगा,
चूमके दर को जुमूँगा,
जहां आके फ़रिश्ते जुकाए सर,
जहां रहते है महाकालेश्वर,
मूजे जाना है बाबा के दर पर……

उस दर पे दुनिया आती है,
झोली में अपनी पा ती है,
जहां रहमत होती है सब पर,
जहां रहते हे महाकालेश्वर,
मूजे जाना है बाबा के दर पर…..

मगन उनकी मोहब्बत मैं हुवा हू,
मैं उस शम्मा का परवाना बना हू,
नज़र आता नहीं उनके सिवा कुछ,
मेरे बाबा से मैं मिलने चला हू,
मूजे जाना है बाबा के दर पर,
जब से बाबा की वफ़ा का दिया जलाया है,
मेरी क़िस्मत नें अजब रंग खिलाया है,
हुवा है एसा करम आज बाबा का मूज पर,
जहां इन पलकों पे मूजे बिठाया है,
मूजे जाना है बाबा के दर पर……

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

पापमोचनी एकादशी

मंगलवार, 25 मार्च 2025

पापमोचनी एकादशी
चैत्र नवरात्रि

रविवार, 30 मार्च 2025

चैत्र नवरात्रि
गुड़ी पड़वा

रविवार, 30 मार्च 2025

गुड़ी पड़वा
उगादी

रविवार, 30 मार्च 2025

उगादी
चेटी चंड

सोमवार, 31 मार्च 2025

चेटी चंड
राम नवमी

रविवार, 06 अप्रैल 2025

राम नवमी

संग्रह