गणपति बप्पा मोरिया,
वक्रतुण्ड महाकाय,सूर्यकोटि समप्रभ:,
निर्विघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा।

हर कार्य में सबसे प्रथम, पूजा होती है आपकी,
हे सिद्धि के सदा सर्वदा, जय हो आपकी,
आप घर आए मेरे, हम पर कृपा हुई,
हम सब भक्तों की बप्पा, दुनियां ही गुलशन हुई,
अपनी दया की दृष्टि से, किरपा करो सब भक्तों पर,
सेवा करेंगे हम सभी, आकर के तेरी चौखट पर,
सेवा करेंगे हम सभी, आकर के तेरी चौखट पर।

सजा दो घर को फूलों से,
मेरे गणराज आये हैं,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी,
देव सरताज आए हैं,
सजा दो घर को फूलों से,
मेरे गणराज आये हैं।

नयन गंगा बहाकर के,
पखारों इनके चरणों को,
मेरे गणराया के संग संग,
मेरे गणराया के संग संग,
ये मूषक राज आए हैं,
सजा दो घर को फूलों से,
मेरे गणराज आये हैं।

कभी रीझे ना ये धन पे,
पुकारा हमने है मन से,
दुखों को दूर कर सबके,
दुखों को दूर कर सबके,
बचाने लाज आए हैं,
सजा दो घर को फूलों से,
मेरे गणराज आये हैं।

उमड़ आई मेरी अँखियाँ,
देखकर अपने बप्पा को,
हमारी बिगड़ी किस्मत को,
हमारी बिगड़ी क़िस्मत को,
बनाने आज आए हैं,
सजा दो घर को फूलों से,
मेरे गणराज आये हैं…….

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