तर्ज :- चिट्ठी ना कोई संदेश
( भरोसा कर ले जरा )

स्थाई – ये जग तो गिराएगा तुझे वो ही उठाएगा-2
भरोसा कर ले जरा -4
ये जग तो रुलाएगा , तुझे वो ही हंसाएगा ,
भरोसा कर ले जरा-2

अंतरा -1 इंसान मुखौटा है पल पल में ये बदले,
क्यों आस लगाता है सब मतलब के पगले,
तेरे सारे रिश्तों को , वो खूब निभाएगा ।
भरोसा कर ले जरा-2

    2.  तेरे लाख हो अच्छे कर्म, पर बुरा ही गाएंगे,
                      तुझे छोड़ भंवर अपने, फिर लौट ना आएंगे,
         तेरी बीच भवर नैया ,भव पार कर आएगा।
                      भरोसा कर ले जरा-2                                    

    3.  गहरे हैं जख्म तेरे भले खुद से छुपा लेना
                     बिन बोले सुनता है बस शीश झुका देना
         कहे राधिका सांवरिया कर के ना जताएगा।
                     भरोसा कर ले जरा-2

Author: Unknown Claim credit

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