तर्ज – सावन का महिना पवन करे शोर

साँवरिया के आगे,
म्हारे गिरधारी के आगे,
मैं ऊभो कर जोड़,
म्हारी गाड़ी तो संभाले रे,
म्हारों राजा रणछोड़………..

थारे भरोसे साँवरा,
नानी ने परणाई,
थारे ही भरोसे मैं तो,
करयो रे जमाई,
मायरे री तू बेला
तू आजा प्यारा दौड़,
म्हारीं गाड़ी तो संभाले रे,
म्हारों राजा रणछोड़,
साँवरिया के आगे मैं,
ऊभो कर जोड़,
म्हारी गाड़ी तो संभाले रे,
म्हारों राजा रणछोड़……

साधू संत सागे म्हारें,
गद्दी ना रजाई,
घनघोर बन में,
इब तो रात घिर आई,
गाड़ी म्हारीं टूटी,
तू आजा प्यारा दौड़,
म्हारीं गाड़ी तो संभाले रे,
म्हारों राजा रणछोड़,
साँवरिया के आगे मैं,
ऊभो कर जोड़,
म्हारी गाड़ी तो संभाले रे,
म्हारों राजा रणछोड़……

रोकड़ रुपिया कदे,
हाट ना चढ़ायो,
जीवन में नरसी श्याम,
नाम ही कमायो,
हुंडी नरसी ले री,
सिख़राजा माखनचोर,
म्हारीं गाड़ी तो संभाले रे,
म्हारों राजा रणछोड़,
साँवरिया के आगे मैं,
ऊभो कर जोड़,
म्हारी गाड़ी तो संभाले रे,
म्हारों राजा रणछोड़…….

नरसी री टेर काची,
निंदा सूं जगाई,
झट उठ दौड़े ठाकुर,
गाँठड़ी उठाई,
जया भजन सुनावे,
सुने है सिरमौर,
म्हारीं गाड़ी तो संभाले रे,
म्हारों राजा रणछोड़,
साँवरिया के आगे मैं,
ऊभो कर जोड़,
म्हारी गाड़ी तो संभाले रे,
म्हारों राजा रणछोड़……

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