गफलत मे सोने वाले क्युं खुद से बेखबर है,
क्युं खुद से बेखबर है, क्युं खुद से बेखबर है,
क्या तुझको ये पता है मैया का दर किधर है,
मैया का दर किधर है, मैया का दर किधर है,
गफलत मे सोने वाले क्युं खुद से बेखबर है…….

जिस काम को ओ मनवा दुनिया में है तू आया,
हीरा जन्म ओ बन्दे माटी में क्यो मिलाया,
फिर जन्म ये द्वारा…..
फिर जन्म ये द्वारा मिलना तुझे नही है,
मिलना तुझे नही है, मिलना तुझे नही है,
गफलत मे सोने वाले क्युं खुद से बेखबर है……

मैया से खुद को बंदे कैसे छुपायेगा तू,
मैया कहाँ नहीं है किस ओर जायेगा तू,
तेरे हर इक कर्म पर…..
तेरे हर इक कर्म पर जगदम्बे की नजर है,
जगदम्बे की नजर है, जगदम्बे की नजर है,
गफलत मे सोने वाले क्युं खुद से बेखबर है……

तू है यहां मुसाफिर ये देश है बेगाना,
आया है तू कहाँ पे किस ओर है तूझको जाना,
ये जगत है सराय….
ये जगत है सराय तेरा नहीं ये घर है,
तेरा नहीं ये घर है, तेरा नहीं ये घर है,
गफलत मे सोने वाले क्युं खुद से बेखबर है……

Author: Unknown Claim credit

Comments

संबंधित लेख

आगामी उपवास और त्यौहार

पापमोचनी एकादशी

मंगलवार, 25 मार्च 2025

पापमोचनी एकादशी
चैत्र नवरात्रि

रविवार, 30 मार्च 2025

चैत्र नवरात्रि
गुड़ी पड़वा

रविवार, 30 मार्च 2025

गुड़ी पड़वा
उगादी

रविवार, 30 मार्च 2025

उगादी
चेटी चंड

सोमवार, 31 मार्च 2025

चेटी चंड
राम नवमी

रविवार, 06 अप्रैल 2025

राम नवमी

संग्रह