सुन ल्यो अर्जा म्हारी॥ ध्जाबन्द धारी
मैं तो आयो हूँ शरण मैं थारी,ध्जाबन्द धारी

उजड़ गया नै बाबा ,अब थे हि बसाओ,
घर गी म्हारी सगली , खुशियां लोटा ओ ॥
म्हाने थारो भरोसो बड़ों भारी, ध्जाबन्द धारी
मैं तो आयो हूँ शरण मैं थारी, ध्जाबन्द धारी
सुन ल्यो अर्जा ……….

जग ओ बेरी बाबा , म्हाने घनो सतायो
दर दर भटकयो बाबा , ना कन गले लगायो ॥
म्हाने सगला हि ठोक र मारी, ध्जाबन्द धारी
मैं तो आयो हूँ शरण मैं थारी , ध्जाबन्द धारी
सुन ल्यो अर्जा ……….

कर दयो किरपा बाबा , दिन असो दिखाओ,
आदिवाल परिवार रा, सब दुखड़ा मिटा ओ,
रवि दुखड़ा मैं उम्र गुजारी, ध्जाबन्द धारी
मैं तो आयो हूँ शरण मैं थारी , ध्जाबन्द धारी
सुन ल्यो अर्जा . . . . . . . .v

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