ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे llll

ये मंत्र है, मां चामुण्डा का,
इस में मां, शक्ति समाती है,
हर इक चिंता, हर इक बाधा,
“इसे जपने से, मिट जाती है” l
*नहीं बाल भी बांका, हो उसका ll
जो सुमिरे इसे ,मन से सच्चे,,,
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे llll

जब चंड-मुंड महिषासुर का,
इस धरती पर आंतक मचा,
सबको ही सताया असुरों ने,
“कोई भक्त ना साधू संत बचा” ll
*तब तुम्हें पुकारा था मईया ll
अब संकट में तेरे बच्चे,,,
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,F

मां दुर्गति-हारिणी दुर्गे ने,
सदा धर्म का साथ निभाया है,
जब-जब धरती पर पाप बढ़ा,
“मां ने त्रिशूल उठाया है” ll
दुष्टों का रक्त पिए काली ll
और खा गई दुष्टों को कच्चे,,,
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,F

हे नमन तुम्हें मां जगदम्बे,
हे नमन तुम्हें मईया काली,
ना तुमसा कोई और हुआ,
“तूँ ही सब से शक्तिशाली” ll
*तूँ दया-दृष्टि हम पर रखना ll
हम सभी तो हैं तेरे बच्चे,,,
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,F

Author: Unknown Claim credit

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