कर न फकीरी फिर क्या दिलगिरी

कर न फकीरी फिर क्या दिलगिरी

करना फकीरी फिर क्या दिलगिरीसदा मगन में रेहना जीकोई दिन हाथी ने कोई दिन घोड़ाकोई दिन पैदल चलना जीकरना फकीरी फिर क्या दिलगिरीसदा मगन में रेहना जीकोई दिन हाथी ने कोई दिन घोड़ाकोई दिन हाथी...

जगदीश ज्ञानदाता सुख मूल

जगदीश ज्ञानदाता सुख मूल

जगदीश ज्ञानदाता सुख-मूल, शोक-हारी,भगवान तुम सदा हो निष्पक्ष न्यायकारी, सब काल सर्वज्ञाता सविता पिता विधाता,सबमें रमे हुए हो तुम विश्व के बिहारी, कर दो बलिष्ठ आत्मा, घबरा न जाएँ दुःख से,कठिनाइयों का जिससे, तर जाएँ...

नाम हरि का जपले बन्दे फिर पीछे पछतायेगा

नाम हरि का जपले बन्दे फिर पीछे पछतायेगा

नाम हरी का जप ले बन्दे फिर पीछे पछतायेगा तू कहता है मेरी काया काया का घुमान क्या,चाँद सा सुन्दर यह तन तेरे मिटटी में मिल जाएगा,फिर पीछे पछतायेगा…… बाला पन में खेला खाया आया...

हर रूप में रंग में ढंग में तू

हर रूप में रंग में ढंग में तू

हर रूप रंग में ढंग में तूँनहरों नदियों में तरंग में तूँ,है परम् पिता जगदीश हरेप्रभु प्रेम उमंग में तूँ ही तूँ, तूँ बनकर सूर्य प्रकाश करे,कहीं शीतल चाँद का रूप धरे,तारों में तेरा रूप...

रोटी खा ले ठाकरा

रोटी खा ले ठाकरा

हथ जोड़ के बेह गया हूँ मैंबस एह अरदासा करदारोटी खा लै ठाकुरावे मियन मिनता तेरिया करदा सजर सुई गाऊ लवेरी,तेरे बदले दे के आयालख पंडित दिया मिनता करकेतेनु अपने घरे लिआयाओह ता नाह नाह...

रचाई श्रृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये श्रृष्टि चला रहे है

रचाई श्रृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये श्रृष्टि चला रहे है

रचाई श्रृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये श्रृष्टि चला रहे हैज पेड़ हमने लगाया पेहले उसी का फल हम अब पा रहे हैरचाई श्रृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये श्रृष्टि चला रहे है...

इक ठौर चाहिये

इक ठौर चाहिये

थक गया हूँ चलते चलतेइक ठौर चाहिये।तेरे चरणों के सिवायठिकाना ना और चाहिये। भटक रहा है मनडगर है बहुत अँधेरीराह दिखाये ऐसीइक भोर चाहिये।तेरे चरणों के सिवायठिकाना ना और चाहिये।थक गया हूँ चलते चलतेइक ठौर...

आगामी उपवास और त्यौहार

वामन जयंती

Wednesday, 25 Sep 2024

वामन जयंती

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